यज्ञ किसे कहते हैं।

यज्ञ किसे कहते हैं।

ईश्वर के लिए जो भी कर्म आपका अर्पण किया जाता है, उसको कहते है यज्ञ।

ईश्वर कौन है?

पहली बार यह कन्फ्यूजन, सबके हृदय में ईश्वर के बारे में

उपनिषद् कहता है-

“ईशा वास्यामिदं सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत “

जितना भी जगत है वह ईश्वर है जगत का कण-कण ईश्वर है.  मिट्टी का कण कण  ईश्वर है | 

 

फिर यह सब? हां भगवान ने कह दिया

“ ईश्वर  सर्वभूतानाम”

 सभी भूत मात्र में ईश्वर है

 

 जिसके द्वारा भूत मात्र का बुरा ना हो, सृष्टि का बुरा ना हो,  ऐसा कर्म करना,  उसको कहते हैं  यज्ञ

यह हो गया ईश्वर के लिए कर्म  करना

 

तीन बातें आ गई-

१- आपका शरीर भी ईश्वर है

२- दूसरों का शरीर भी ईश्वर है

३- और यह पृथ्वी,  जल,  वायु,  आकाश,  यह जितने भी दिख रहे हैं आपको,  यह भी ईश्वर है

– तो ना तो आपके शरीर का खराबा हो

-ना तो दूसरों को आप से तकलीफ हो

– और ना ही  नेचर आपकी वजह से  बिगड़े 

इसका नाम है यज्ञ